Wednesday 6 November 2024

How Save Political Power Chair? सत्ता की कुर्सी कैसे बचाएं

 
सत्ता नाव के समान है, नाव में सवार हर ब्यक्ति जानता है की नाव डूब रही है। क्यों डूब रही है ? और इसका कारण क्या है ?
 
इसीलिए डूबती नाव में विमर्श हो रहा है...सत्ता की कुर्सी कैसे बचाएं?

प्रजातंत्र की यह एक खासियत है. योग्य हो या अयोग्य , बड़की कुर्सी परिवार की उत्तराधिकारी के लिए आरछित होती है
 
फिर भी कुछ लोग, मेरे विचार से जिनका अपना कोइ परिवार नहीं है कहते हैं "ये राजनीति नहीं परिवारवाद है।" सच्ची जनता सेवा तो सिर्फ़ और सिर्फ़ उनकी पार्टी ही कर सकती है। 
 
विचार में शामिल चाहे वह युवा हो या बृद्ध सब जानते है की नाव में छेद है।

मगर ये विमर्श इस लिए आयोजित किया गया है कि "इस छेद के वावजूद नाव कैसे बचाई जाए ?" सत्ता की दौड़ में फिर से आगे रहने के क्या उपाय है
 
तभी किसी ने कहा 'सबसे पहले तो जातीय समीकरणों का अध्ययन कर लेना चाहिए।' सब लोग सहमत दिखे।

लगभग हर एक सियासत का यह एक अलिखित नियम है की यदि शीर्ष के पद के विषय में रत्ती भर भी संसय हो तो अल्पसंखयको को पटाओ। उनमे अपनी के साथ  अन्य जातियो को भी जोड़ो।  दलित, अभावग्रस्त , वंचित के नारे जोर जोर से लगाओ। हर एक रैलियों में इस बात का जिक्र करो की हम ही हैं जो आपको तरक्की , आपका हक़ , रोजगार। .. दिला सकते है।  बाकि की सरकारें आप को धोखा देती है। 

नाव के अधिकतर सवारों की कब्ज़ा कुर्सी उनके खानदान की ही देन है। सत्ता हथियाने की उनकी समय सिद्ध जुगत भी इसी प्रकार की जातीय समीकरण से जुडी है। 

घूम फिर कर विमर्श फिर से इसी केंद्र बिंदु पर आ टिकता है की किसको कैसे पटायें ? इतने में नाव में पानी कुछ अधिक भर चूका है। 

 सर्वोच्च पद का प्रत्यासी एका एक त्याग की मुद्रा अपनाता है और धीरे से ही अपने किसी खास सवार से कहता है की इस छेद पर मेरा त्यागपत्र चिपकाओ। 
 
जनता की ब्यापक हमदर्दी से शायद पानी रुक जाये
 
उसकी इस महँ क़ुरबानी से  सब के सब अभिभूत हैं। सब एक स्वर में उसके नेतृत्व क्षमता का गुणगान करतें है। उनकी तो बस एक ही गुहार है सब समय चक्र का फेर है आप बस इसी तरह से टीके रहे।

पानी अब घुटनो तक आ गया है।  इस लिये उनका इस्तीफा इस  आशा के साथ स्वीकार किया जायेगा  की पानी रुकेगा।

सबके हाथ पैर निष्क्रिय पड़े है। तैरना तो आता है , पर क्या इस उफनती नदी से पार पा पाएंगे ? इसका भी डर है सबको। अब दूसरे तैरती नाव की तलाश में है  की अस्तित्व के संकट से छुटकारा मिले।
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